Sonwalkar

सम्पूर्ण काव्य-संग्रह

परिवेद्गा और प्रभाव

अपनी धरतीअपना परिवेश छोड़ कहाँ जाएँगे हमजड़ें तो भीतर तकगहरी धँसी हैंइसी माटी मेंलेकिन पौधे को उगने के लिएचाहिए जो जलवह तो आयेगा बादलों से !बादल-जोदूर-दूर के देशों से आते हैंलाते …

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फसल

ये अँकुराये पौधे सारेउन बेचारे हाथों में आने दोजो मरे खपे इतने दिन।आदमी और गाय बैल जुते सभीबूढ़े भी, बच्चे भी।जेठ की धूप मेंआधे पेट ही घूमे बेचारेगोबर से लीपी …

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सुर ही नही सूर्य भी बदलना है

भीड़-भरे चौराहे परतू गाता रहयहाँ के सात सुरों मेंन बँधने वाला गीत।तुझे उनकी तरहसाज-बाज की जरूरत ही क्या है ?अच्छा ही कियाजो तूने गीत का ‘स्थायी’ बदल दियामगर यह घबराहट …

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गाँधी : एक युग-मुद्रा

गाँधी एक युग की अभिव्यक्तिजिसे उस युग के हिंसक सपने कैद नहीं कर सके,और इतिहास के आईने मेंजिसके सर्वस्व समर्पण का प्रतिबिम्बदेखती रहेंगी आनेवाली पीढ़ियाँ(ऐसा व्यक्तित्व)गाँधी एक हिम-शैलध्रुव-प्रदेश से बर्फ …

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