Sonwalkar

शीशे और पत्थर का गणित

एक बार फिर

फिरबजी नेताजी का भाषण परचमचों की तालीफिरहोने लगी शब्द बे-असरअर्थ से ख़ाली। फिरबिचौलिए देने लगेमूँछों पर ताव-फिरआसमान छूने लगेंजरुरी चीजों के भाव। फिरशक्ति-प्रदर्शन के लिएहोने लगी रैलियाँफिररिश्वत के लिएखुलने लगीं …

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एक एबनार्मल रचनाकार

साधारण बातचीत में भीउसके चेहरे परतनाव बना रहता हैऔर माथे की शिरायेंअलग दिखाई देती है –उभरी हुई जैसे वो किसी बहस मेंभाग ले रहा होवह लगातार बोलता रहता है।(सहज बातों …

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कलर सिक्वेंस

अगरखामोश हैं आप सबतो मैं ही बता दूँउनका परिचय – वेंकुल तीन हैंऔर उनका जमा जमायाएक ही कलर कासीक्वेंस हैं। जो बैठा हैसबसेऊँची कुर्सी परवो है सत्ता का ‘बादशाह’ उसके …

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तटस्थता

मोहल्ले में लग रही है आगऔर हमआनंद मना  रहे हैंबाल्टियाँ लेकरदौड़ पड़ने के बजायबहस के –दलदल बना रहे हैं। यूँ बेफिक्र हैं हमकि जैसे इन सर्वनाशी लपटों सेकेवल हम बच रहेंगेऔर …

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पिंजरें से प्रतिबद्ध

पिंजरे का द्वारखुला हुआ हैंफिर भी वहउसी में बैठा है आश्वस्तपिंजरे कीरंगीन सलाखों पर आश्वस्त! आसमान की नीलिमायाधरती की हरियालीदोनों ही उसेनिरर्थक लगते हैं चुनौतियों कीतेज़ किरणों से भीउसके पंखों …

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