तटस्थता
मोहल्ले में लग रही है आगऔर हमआनंद मना रहे हैंबाल्टियाँ लेकरदौड़ पड़ने के बजायबहस के –दलदल बना रहे हैं। यूँ बेफिक्र हैं हमकि जैसे इन सर्वनाशी लपटों सेकेवल हम बच रहेंगेऔर …
मोहल्ले में लग रही है आगऔर हमआनंद मना रहे हैंबाल्टियाँ लेकरदौड़ पड़ने के बजायबहस के –दलदल बना रहे हैं। यूँ बेफिक्र हैं हमकि जैसे इन सर्वनाशी लपटों सेकेवल हम बच रहेंगेऔर …
पिंजरे का द्वारखुला हुआ हैंफिर भी वहउसी में बैठा है आश्वस्तपिंजरे कीरंगीन सलाखों पर आश्वस्त! आसमान की नीलिमायाधरती की हरियालीदोनों ही उसेनिरर्थक लगते हैं चुनौतियों कीतेज़ किरणों से भीउसके पंखों …
एक नया कर्मकांडजनम ले रहा हैं!अभी तो शुरू हुई थीमूर्ति-भजन की प्रक्रियाफिर खड़े होने लगे बुतगाँव-गाँव! गली-गली!फिर वहीं हवा चलीअर्चन – वंदन जय – जयकार की। औपचारिकताएँघेरने लगीं जीवन कोआडम्बर …
माना किएक दिन बुझाना ही थातुम्हारा किताबी आक्रोशमगर ये सबपलक झपकते हीहो जायेगाऐसी उम्मीद न थी।कम-स-कमतेरह दिन का शोकतो मना लेतेआक्रोश की खुदखुशी पर।कुछ दिन तो रहतेबिना मुखौटों के!पर तुमने …
हैरत है कि आखिरक्यों जी रहे हैं लोग?जानते हुए भीनाइन्साफी का ज़हरक्यों पी रहे हैं लोग? आखिर जिन्दा रहने मेंइनका मकसद क्या है?निरर्थक जिन्दा रहने कीइनकी आखिरी हद क्या है?ऐसे …