Sonwalkar

सम्पूर्ण काव्य-संग्रह

तुम्हारे स्मरण

तुम्हारे स्मरण मात्र सेकैसे सहज होते जाते हैसब कामजैसे तुलसी के लिएहर क्षण उपस्थित रहते है श्री रामहजारों उलझनों के बीच भीनिकल आती है । कोई राहघने अँधियारे में भीबरस पड़ता …

तुम्हारे स्मरण अधिक पढ़ें »

व्यसन

अहम्परोपजीवी है ।प्रशंसा की खाद मिलती हैतभी जीवित रहता हैफिर यह बनने लगती हैएक आदतएक व्यसन ।ये खुराक न मिलेतो मुरझाने लगता हैव्यक्तित्व का पोैधाऔर हम दोष देने लगते हैकभी आबो …

व्यसन अधिक पढ़ें »