Sonwalkar

सम्पूर्ण काव्य-संग्रह

जनावतार कृष्ण

जनावतारतुम्हारी लीलासचमुच अपरम्पार हैकारागार में जन्मेऔर मतपेटी कोसुदर्षन चक्र की तरह प्रयोग करआतताईयो कीअत्याचारी गर्दन उडा दीहम तो समझ बैठै थेकि तुम एकदम पाषाण होन तुममे करुणा है, न क्रोधऔर …

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नया साल

मुड़कर पीछे देखने की भीफुरसत नहींदो घड़ी दम लेने की भीइजाजत नहीं ।कितनी अजीब हैये जिदंगी की कशमकशकि इसकी रफ्तार के सामनेसभी है बेबस ।दोैड़ना/थकान/बचना /रूकनाफिर चल पड़नागिरना /उठना/उठकर भागते रहनाफिर …

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