Sonwalkar

सम्पूर्ण काव्य-संग्रह

जनावतार कृष्ण

जनावतारतुम्हारी लीलासचमुच अपरम्पार हैकारागार में जन्मेऔर मतपेटी कोसुदर्षन चक्र की तरह प्रयोग करआतताईयो कीअत्याचारी गर्दन उडा दीहम तो समझ बैठै थेकि तुम एकदम पाषाण होन तुममे करुणा है, न क्रोधऔर …

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नया साल

मुड़कर पीछे देखने की भीफुरसत नहींदो घड़ी दम लेने की भीइजाजत नहीं ।कितनी अजीब हैये जिदंगी की कशमकशकि इसकी रफ्तार के सामनेसभी है बेबस ।दोैड़ना/थकान/बचना /रूकनाफिर चल पड़नागिरना /उठना/उठकर भागते रहनाफिर …

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कस्बे की कृतज्ञता

देखते देखतेसात साल बीत गये जावना मेंमालवा के एक कस्बे मेंवक्त नेउम्र के कीमती सात साल छीन लिएलेकिन दे गया बदले मेंतुजुर्बा एहसासों की बेषकीमती दौलतकैसे के वरदान मिलेपिछले दिनोमाॅ …

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दुखों की बरसात

मन में आकाश मेंदुख की बदलीकब छा जायेइसका क्या ठिकानाकब बरस पडे उदासी की घटााइसका नियम है अनजानालेकिन बरसती है सब परक्योकि सभी के घर हैएक ही आसमान के नीचेजिसे …

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अंतहीन तलाश

कोई गुरु नहीं मिला ।खोजते – खोजतेनयन थक गये ।जिसे पाकर महक उठेमन उपवन ऐसा फूल नहीं खिलाकिन-किन दरगाहों पर सजदें कियेकिन-किन द्वारों पर झुकाया सिरकोई पुकार ही प्रतिध्वनि बनकरलोैट …

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