अर्थहीनता
हैरत है कि आखिरक्यों जी रहे हैं लोग?जानते हुए भीनाइन्साफी का ज़हरक्यों पी रहे हैं लोग? आखिर जिन्दा रहने मेंइनका मकसद क्या है?निरर्थक जिन्दा रहने कीइनकी आखिरी हद क्या है?ऐसे …
हैरत है कि आखिरक्यों जी रहे हैं लोग?जानते हुए भीनाइन्साफी का ज़हरक्यों पी रहे हैं लोग? आखिर जिन्दा रहने मेंइनका मकसद क्या है?निरर्थक जिन्दा रहने कीइनकी आखिरी हद क्या है?ऐसे …
भिंड से बस्तर तकदंगों दुर्घटनाओंअत्याचारों की लपटों में-और मेरा यार, कलाकारशहनाई पर‘जय-जय-वान्ति’बजा रहा है! सुबह से शाम तकघासलेट के क्यू में खड़े हैं लोगदो जून की रोटी का भीजुटा नहीं …
दुश्मनदिखाई नहीं देतासाफ़-साफ़,मगर उसके हाथ दूर-दूर तकफैले हैतुम्हे मिटाने केयातुम्हे खरीदने के खेलउसनेसफाई से खेले हैं! तुम्हारे गले में पहनाया गया हारदेखते-देखते हीजंजीर बन जाता हैतुम्हारी तारीफ में कहे गए …
अपनी धरतीअपना परिवेश छोड़करकहाँ जायेंगे हम।जड़े तो भीतर तकगहरी धँसी हैइस माटी में। लेकिन पौधें को उगने के लिएचाहिए जलवह तो आयेगा बादलों सेबादलजो – दूर दूर के देशों से आते …
वेसभी विधाओं में लिख चुकेकविता से शुरू करकेनाटक तक;सभी धंधे कर चुकेप्रोफेसरी से लेकरपत्रकारिता तक। वे सभी कौतुक कर चुकेदाढ़ी रखने से लेकररंगीन बुश्शर्ट तक। वेहर उम्र की प्रेमिकाएँआजमा चुकेप्रोढ़ …