Sonwalkar

शीशे और पत्थर का गणित

मेरा यार : कलाकार!

भिंड से बस्तर तकदंगों दुर्घटनाओंअत्याचारों की लपटों में-और मेरा यार, कलाकारशहनाई पर‘जय-जय-वान्ति’बजा रहा है! सुबह से शाम तकघासलेट के क्यू में खड़े हैं लोगदो जून की रोटी का भीजुटा नहीं …

मेरा यार : कलाकार! अधिक पढ़ें »

खतरए-वज़ीफा

दुश्मनदिखाई नहीं देतासाफ़-साफ़,मगर उसके हाथ दूर-दूर तकफैले हैतुम्हे मिटाने केयातुम्हे खरीदने के खेलउसनेसफाई से खेले हैं! तुम्हारे गले में पहनाया गया हारदेखते-देखते हीजंजीर बन जाता हैतुम्हारी तारीफ में कहे गए …

खतरए-वज़ीफा अधिक पढ़ें »

परिवेश और प्रभाव

अपनी धरतीअपना परिवेश छोड़करकहाँ जायेंगे हम।जड़े तो भीतर तकगहरी धँसी हैइस माटी में। लेकिन पौधें को उगने के लिएचाहिए जलवह तो आयेगा बादलों सेबादलजो – दूर दूर के देशों से आते …

परिवेश और प्रभाव अधिक पढ़ें »

सुविधा

वेसभी विधाओं में लिख चुकेकविता से शुरू करकेनाटक तक;सभी धंधे कर चुकेप्रोफेसरी से लेकरपत्रकारिता तक। वे सभी कौतुक कर चुकेदाढ़ी रखने से लेकररंगीन बुश्शर्ट तक। वेहर उम्र की प्रेमिकाएँआजमा चुकेप्रोढ़ …

सुविधा अधिक पढ़ें »