विडंम्बना
तूने हीरे दियेवरदान मेंऔर मैं उन्हेकंकड़ समझकरफेंकता रहा ।उन्होंने क्रान्ति की मशालसौंपी थी हमेंयहाँ का बुद्धिजीवीउससेप्रचार का चूल्हा जलाकरप्रतिष्ठा की रोटीसेंकता रहा ।
तूने हीरे दियेवरदान मेंऔर मैं उन्हेकंकड़ समझकरफेंकता रहा ।उन्होंने क्रान्ति की मशालसौंपी थी हमेंयहाँ का बुद्धिजीवीउससेप्रचार का चूल्हा जलाकरप्रतिष्ठा की रोटीसेंकता रहा ।
मन्दिर में बूढ़े दादारामायण बांच रहे हैंरह रह के ध्यान उचटता हैबच्चों को डांट रहे है।बाजू के कमरे मेंभैया भाभी खूस पूस करतेटेरीलिन साड़ी की खातिररुठ गई भाभीजीभैया मना रहे …
जिसे तुम लिख नहीं पाएअगर वही कविताकिसी और से लिख जाएतो सार्थकता का आनन्दफूट पड़ना चाहिएतुम्हारे अन्तरतम सेझरने की तरह।आनन्द की जगहयदि तुम होते हो कुंठिततो मानना चाहिएकि तुम्हारे भीतर‘कवि‘ नहींएक …
लोगों ने तो प्यार लुटायाझोली भर – भरमेरे मन की सीमाएँ हीछोटी पड़ गई ।बचपन में दिखलाया थाध्रुव तारा मन मेंआसपास की चीजों पर हीदृष्टि पड़ गईजीवन की संध्या मेंअब …
बुनियादी भूलआज भी वहीं हो रही है ।फाईलों के सहारेसम्पूर्ण क्रांन्ति हो रही है ।ऊपर से नीचे तकवैसी ही परम्परा है रिश्वत कीसिफारिश पलड़ासबसे भारी है ।सबसे बड़ी योग्यतानेता से …