परिवेश और प्रभाव Leave a Comment / शीशे और पत्थर का गणित / By admin अपनी धरतीअपना परिवेश छोड़करकहाँ जायेंगे हम।जड़े तो भीतर तकगहरी धँसी हैइस माटी में।लेकिन पौधें को उगने के लिएचाहिए जलवह तो आयेगा बादलों सेबादलजो – दूर दूर के देशों से आते हैंलाते हैंकितनी नदियों का जलजिनका उद्गम हैअलग-अलग दिशाओं में –इस तरह होता हूँ सम्पृक्तसभी प्रभावों सेमुक्त आकाश के नीचेअपने परिवेश कोजीता हुआ।