व्यसन Leave a Comment / अन्य 2, पीढ़ियों का दर्शक, सम्पूर्ण काव्य-संग्रह / By admin अहम्परोपजीवी है ।प्रशंसा की खाद मिलती हैतभी जीवित रहता हैफिर यह बनने लगती हैएक आदतएक व्यसन ।ये खुराक न मिलेतो मुरझाने लगता हैव्यक्तित्व का पोैधाऔर हम दोष देने लगते हैकभी आबो हवा कोकभी परिवेश को।