Sonwalkar

तुम्हारे स्मरण

तुम्हारे स्मरण मात्र से
कैसे सहज होते जाते है
सब काम
जैसे तुलसी के लिए
हर क्षण उपस्थित रहते है श्री राम
हजारों उलझनों के बीच भी
निकल आती है । कोई राह
घने अँधियारे में भी
बरस पड़ता है
रोशनी का प्रवाह
अगर मन में बसी रहती है
तुम्हारी याद
माँ के शीतल स्पर्श से
मिलते रहते है आशीर्वाद

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