Sonwalkar

मृत्यु से प्रश्न

चले जाते है लोग
हमेशा के लिये
अब उनकी जरूरत होती है ।
सबसे ज्यादा
क्या मृत्यु के शब्दकोष में
नही है कोई मर्यादा ?
ये भाग्य है
या अन्धा न्याय ?
कर्मों के फल है
या नियति का न्याय ?
आखिर यह किसका निर्णय है ?
क्या मरण का क्षण सचमुच
पहले से तय है ।

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