तुम्हारे स्मरण मात्र से कैसे सहज होते जाते है सब काम जैसे तुलसी के लिए हर क्षण उपस्थित रहते है श्री राम हजारों उलझनों के बीच भी निकल आती है । कोई राह घने अँधियारे में भी बरस पड़ता है रोशनी का प्रवाह अगर मन में बसी रहती है तुम्हारी याद माँ के शीतल स्पर्श से मिलते रहते है आशीर्वाद