Sonwalkar

तटस्थता

मोहल्ले में लग रही है आग
और हम
आनंद मना  रहे हैं
बाल्टियाँ लेकर
दौड़ पड़ने के बजाय
बहस के –
दलदल बना रहे हैं।

यूँ बेफिक्र हैं हम
कि जैसे इन सर्वनाशी लपटों से
केवल हम बच रहेंगे
और फिर रस ले लेकर
इस अग्निकांड की कथा कहेंगे।

लेकिन तब तक
जलने लगेगा हमारा ड्रॉइंगरुम भी
तब हम क्या करेंगे
अपने निक्कमें शब्द
और
थोथे तर्क लिए मरेंगे।

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