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गाँधी : एक युग-मुद्रा

गाँधी एक युग की अभिव्यक्ति
जिसे उस युग के हिंसक सपने कैद नहीं कर सके,
और इतिहास के आईने में
जिसके सर्वस्व समर्पण का प्रतिबिम्ब
देखती रहेंगी आनेवाली पीढ़ियाँ
(ऐसा व्यक्तित्व)
गाँधी एक हिम-शैल
ध्रुव-प्रदेश से बर्फ के प्रवाह के साथ बहता
उष्ण कटिबन्ध की ऊर्जा लिये गतिवान –
जिसका भव्य अतीत सात बटे-आठ पानी में डूबा हुआ
और सिर्फ एक छोटे टीले के समान ऊपर दिखायीं देता-
उसने क्षितिज के निकट, सिर ऊपर उठाया
तब उसका ध्यान –
अथाह समन्दर में राह-भूले यात्री की तरह
अबोध व्याकुलता लिये हुए था।
बहुतों ने उसकी तरफ देखा कौतुहल से –
और मजाक भी बनाया उसकी सरलता का।
वैसी ही हिकारत से
सात समुद्रों पर राज करने वाले जहाजों का काफिला
उसे रौंदते हुए गुजर गया।
किन्तु पूरे विश्व ने देखा आश्चर्य से –
कि उस हिमशैल के चेहरे की बाल-सुलभ मुस्कराहट
ज्यों-की-त्यों कायम थी …….।
और वे भी सभी लड़ाकू  जहाज ले चुके थे जल-समाधि।

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