Sonwalkar

कस्बे की कृतज्ञता

देखते देखते
सात साल बीत गये जावना में
मालवा के एक कस्बे में
वक्त ने
उम्र के कीमती सात साल छीन लिए
लेकिन दे गया बदले में
तुजुर्बा एहसासों की बेषकीमती दौलत
कैसे के वरदान मिले
पिछले दिनो
माॅ सरस्वती के वीणा वादिनी के
बच्चे बुढे जवान सभी का प्यार मिला ।
ढेर ढेर प्यार इतना ।
और सबसे बढकर
मिला गजलो का तोहफा ।
उनकी मिठास
उनका अंदाजे बयां
और यही
मैने पिता की चिता से
चुनी उनकी अस्थियां
भस्म प्रवाहित की
पषुपतिनाथ की गंगा में
अवंतिका नगरी में किया श्राद्ध
उपलब्ध किया एक ही जीवन सूत्र
कि मन में आत्मीयता हो
और विनम्र दृष्टि
तो कस्बे में भी मिलते है
अनुभवेा के
अनपेक्षित आयाम ।

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