विडंम्बना
तूने हीरे दियेवरदान मेंऔर मैं उन्हेकंकड़ समझकरफेंकता रहा ।उन्होंने क्रान्ति की मशालसौंपी थी हमेंयहाँ का बुद्धिजीवीउससेप्रचार का चूल्हा जलाकरप्रतिष्ठा की रोटीसेंकता रहा ।
तूने हीरे दियेवरदान मेंऔर मैं उन्हेकंकड़ समझकरफेंकता रहा ।उन्होंने क्रान्ति की मशालसौंपी थी हमेंयहाँ का बुद्धिजीवीउससेप्रचार का चूल्हा जलाकरप्रतिष्ठा की रोटीसेंकता रहा ।
मन्दिर में बूढ़े दादारामायण बांच रहे हैंरह रह के ध्यान उचटता हैबच्चों को डांट रहे है।बाजू के कमरे मेंभैया भाभी खूस पूस करतेटेरीलिन साड़ी की खातिररुठ गई भाभीजीभैया मना रहे …
जिसे तुम लिख नहीं पाएअगर वही कविताकिसी और से लिख जाएतो सार्थकता का आनन्दफूट पड़ना चाहिएतुम्हारे अन्तरतम सेझरने की तरह।आनन्द की जगहयदि तुम होते हो कुंठिततो मानना चाहिएकि तुम्हारे भीतर‘कवि‘ नहींएक …
देखते देखतेसात साल बीत गये जावना मेंमालवा के एक कस्बे मेंवक्त नेउम्र के कीमती सात साल छीन लिएलेकिन दे गया बदले मेंतुजुर्बा एहसासों की बेषकीमती दौलतकैसे के वरदान मिलेपिछले दिनोमाॅ …
मन में आकाश मेंदुख की बदलीकब छा जायेइसका क्या ठिकानाकब बरस पडे उदासी की घटााइसका नियम है अनजानालेकिन बरसती है सब परक्योकि सभी के घर हैएक ही आसमान के नीचेजिसे …