अपेक्षा
भटक गया हूँऔर उधर शाम घिरने लगी है।सूर्य अस्त होने को है;अब तुम्ही उगाओकोई ध्रुवतारा।
पुरानाअगर अपना “पुरानापन” पहचानता है,तो नया हो जाता है नयायदि घिरा रहता है“नयेपन की सीमाओं में”तो वह पुराना ही रहता है। अपने कोसतत् जानते परखते रहनानयापन है। सीमाओं-रूढ़ियों में घिरकरजड़ …
चारों तरफ फैला हैभीड़ का समुद्रअगम और अपारलेकिन इतना गहरा नहींकि उसमें डूब सकेमेरे अकेलेपन की कगार।