एक बार फिर

फिरबजी नेताजी का भाषण परचमचों की तालीफिरहोने लगी शब्द बे-असरअर्थ से ख़ाली। फिरबिचौलिए देने लगेमूँछों पर ताव-फिरआसमान छूने लगेंजरुरी चीजों के भाव। फिरशक्ति-प्रदर्शन के लिएहोने लगी रैलियाँफिररिश्वत के लिएखुलने लगीं …

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