Sonwalkar

पीढ़ियों का दर्शक

संभावना

व्यवस्था को बदले बगैरनही मिटेगा दुख व्यक्ति काक्रांति के बिनानही मिटेगा राजशोषण की शक्ति का ।मगर कौन सा होगा क्रांन्ति का माध्यम ?बँदूक या बम ?बारुद में धुॅऐ से तोऔर …

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शाष्वत सत्य

कोई नही जानताकि अगले क्षणक्या घटित होगा ?हजार-हजार आकडो से खेलने वालीनियति का गणित क्या होगा ?बहुत मुमकिन हैकि तुम जो अभी हॅस बोल रहे होमित्रो मेंकल ही लदे हुए …

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दुख की मार

बड़ी बुरी मार है दुख की ।हर बारयादें बुला देता है सुख की ।जाने कहाँ से आकरहमें दबोच लेता है ।कितनी ही कोशिश करोउसका शिंकजा नही छुटताकसता ही जाता हैजब …

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मन की पीढ़ा

लोगों ने तो प्यार लुटायाझोली भर – भरमेरे मन की सीमाएँ हीछोटी पड़ गई ।बचपन में दिखलाया थाध्रुव तारा मन मेंआसपास की चीजों पर हीदृष्टि पड़ गईजीवन की संध्या मेंअब …

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