विडंम्बना
तूने हीरे दियेवरदान मेंऔर मैं उन्हेकंकड़ समझकरफेंकता रहा ।उन्होंने क्रान्ति की मशालसौंपी थी हमेंयहाँ का बुद्धिजीवीउससेप्रचार का चूल्हा जलाकरप्रतिष्ठा की रोटीसेंकता रहा ।
तूने हीरे दियेवरदान मेंऔर मैं उन्हेकंकड़ समझकरफेंकता रहा ।उन्होंने क्रान्ति की मशालसौंपी थी हमेंयहाँ का बुद्धिजीवीउससेप्रचार का चूल्हा जलाकरप्रतिष्ठा की रोटीसेंकता रहा ।
जिसे तुम लिख नहीं पाएअगर वही कविताकिसी और से लिख जाएतो सार्थकता का आनन्दफूट पड़ना चाहिएतुम्हारे अन्तरतम सेझरने की तरह।आनन्द की जगहयदि तुम होते हो कुंठिततो मानना चाहिएकि तुम्हारे भीतर‘कवि‘ नहींएक …
अब सब जानते हैमुद्दा क्या है ?सीधा और साफलोगों को चाहिए इंसाफ ।यानि मेहनत को रोटीडिग्री को नौकरीबच्चों को भविष्य, बुढ़ों को छाँवचाहे शहर हो या गाँवतकलीफ सबकी वही हेै …
प्रेम ही कमजोरी हैप्रेम ही शक्ति है ।प्रेम ही पूजा हैप्रेम ही भक्ति है ।प्रेम से बंधे है सबप्रेम आसक्ति है ।सबसे जुड़ जाये तोप्रेम अनासक्ति है ।प्रेम के आकाश …
कोई संकल्प पूरा नहीं होता ।कितनी निष्ठा सेकरता हूँ प्रयोग अनुष्ठान का ।शब्द, फूल, प्रेमदीप, भावगंधजुटाता हूँ सरंजामपूजा के सामान का ।पर जाने कब हो जाता हैप्रमाद अनजानेसिद्धि का चक्रपूरा …