Sonwalkar

प्रेम

प्रेम ही कमजोरी है
प्रेम ही शक्ति है ।
प्रेम ही पूजा है
प्रेम ही भक्ति है ।
प्रेम से बंधे है सब
प्रेम आसक्ति है ।
सबसे जुड़ जाये तो
प्रेम अनासक्ति है ।
प्रेम के आकाश का
प्रतिबिंब हर व्यक्ति है ।
प्रेम ही एक मात्र
निष्पाप अभिव्यक्ति है ।

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