दुख की मार Leave a Comment / अन्य 2, पीढ़ियों का दर्शक, सम्पूर्ण काव्य-संग्रह / By admin बड़ी बुरी मार है दुख की ।हर बारयादें बुला देता है सुख की ।जाने कहाँ से आकरहमें दबोच लेता है ।कितनी ही कोशिश करोउसका शिंकजा नही छुटताकसता ही जाता हैजब तक आंसुओं का पूरा हिसाब न कर लेये बेरहमहमें रोते देखकर भीहँसता जाता हेै ।