Sonwalkar

आत्मीय स्पर्श

बड़ों के पाँव छूने का रिवाज़
इसलिए अच्छा है
कि उनके पैरों का छाले देखकर
और बिवाईयाँ छुकर
तुम जान सकों
कि जिंदगी उनकी भी
कठिन थी
और
कैसे कैसे संघर्षों में चलते रहें हैं वें।

बदलें में
वे तुम्हे सीने से लगाते हैं
और सौंप देते हैं
अपनी समस्त आस्था;
अपने अनुभव।

यह आत्मीय विद्युत स्पर्श
भर देता है तुम्हारे भीतर
कभी समाप्त न होने वाली
एक विलक्षण ऊर्जा।

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