Sonwalkar

अधूरा संकल्प

कोई संकल्प पूरा नहीं होता ।
कितनी निष्ठा से
करता हूँ प्रयोग अनुष्ठान का ।
शब्द, फूल, प्रेमदीप, भावगंध
जुटाता हूँ सरंजाम
पूजा के सामान का ।
पर जाने कब हो जाता है
प्रमाद अनजाने
सिद्धि का चक्र
पूरा नहीं होता
जिस लक्ष्य की दिशा में
चलता हूँ कदम-कदम
वह मुझसे दूर-दूर
और दूर जाता है ।
जितनी ही अभ्यर्थना
करता हूँ ज्योति की
अंधकार नयनों से
घूर घूर जाता है ।
जाने कैसे छूट जाती है लय
गीत की
सप्तक संवाद का
पूरा नहीं होता ।
कोई संकल्प पूरा नहीं होता

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